Thursday, May 6, 2010

राष्ट्र के अन्तर मन की,
मेरी तुम्हारी जन -जन की।
निज भाव बोधिनी भाषा है,
अभिव्यक्ति है - शक्ति है।
पहचान है और आशा है,
हिन्दी जो हिन्द की भाषा है ....।
हिन्दी जो हिन्द की भाषा है ॥
यह प्रयास है हिन्दी को दक्षिण के इस क्षेत्र में और प्रसारित करने का । कभी कोई ऐसी कविता जो आपके मन को छू गई हो तो उसकी पंक्तियाँ हमारे साथ साझी करें। यह कविता आपकी अपनी स्वरचित या किसी अन्य कवि की भी हो सकती है । चलिये फिर गुनगुनाएँ ; दिल ढूँढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन, ......।
13 मार्च , 2009 को आयोजित नराकास, कारैकुड़ी की बैठक के कुछेक छाया - चित्र
दिनांक 29 अप्रैल, 2010 को नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, कारैकुड़ी की बैठक सम्पन्न ।